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Sunday, 23 April 2017

बिना उम्मीद, बिना लालच के जरुरतमंदों की मदद करें।

बिना उम्मीद, बिना लालच के जरुरतमंदों की मदद करें। (Help peoples without any hope, without any greed)



जरुरतमंदो की मदद करने से, जरुरत के समय किसी के काम आने से, बुरे वक़्त में किसी का सहारा बनने से बड़ा पुण्य इस दुनियाँ में कोई नहीं है। किसी की मदद करने से जहाँ हमें खुद को ख़ुशी मिलती है, दिल को सुकून मिलता है, वहीँ हमारे द्वारा की गयी थोड़ी सी मदद से किसी का भला हो सकता है, किसी भूखे को खाना मिल सकता है, पहनने को कपडा मिल सकता है, किसी की जिंदगी में बदलाव आ सकता है।


दोस्तों मदद का कोई रूप नहीं होता है ना ही कोई नाम होता है। आप किसी भी तरह से, किसी भी रूप में किसी की भी मदद कर सकते हैं। आगे 3 कहानियाँ दी जा रही हैं, कृपया उन्हें ध्यान से पढ़ें।

कहानी – 1 

एक सड़क के किनारे एक अंधा व्यक्ति अपनी टोपी को सामने रखे भीख माँग रहा था, साथ ही उसने एक तख्ती लगा रखी थी जिस पर लिखा था, “मैं अंधा हूँ मेरी सहायता कीजिए।”
एक व्यक्ति कुछ घंटों के अन्तराल पर उस सड़क से दो बार गुजरा। दूसरी बार जब वह व्यक्ति उधर से गुजरा तो उसने देखा कि कई घंटे हो जाने के बाद भी अंधे व्यक्ति की टोपी में कुछ सिर्फ सिक्कों के अलावा कुछ भी नहीं है।

उस व्यक्ति ने अंधे से उसकी तख्ती ली और पहले वाली लिखी लाइन मिटा कर एक नई लाइन लिख दी और चला गया।
देखते ही देखते कुछ ही देर बाद टोपी में सिक्के और नोट गिरना शुरू हो गए। अंधे ने महसूस किया कि कुछ परिवर्तन जरूर हुआ है और शायद इस तख्ती की वजह से हुआ है जिस पर उसे कुछ नया लिखा जाना लगा था। एक पैसे डालने वाले से उसने पूछा – उस तख्ती पर क्या लिखा है?
उसने बताया कि लिखा है,
“हम बहार के मौसम में रह रहे हैं, लेकिन मैं इस बहार की सुन्दरता को देखने से वंचित हूँ। ”
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कहानी-2

एक सड़क किनारे खम्भे पर लटके कागज़ पर लिखा हुआ था ‘मेरे 50 रु खो गये हैं जिसको मिले वह नीचे लिखे पते पर पहुँचाने का कष्ट करें। मैं एक बहुत ही गरीब और बूढी औरत हूँ। मेरा कोई कमाने वाला नहीं। रोटी खरीदने के लिए भी मोहताज रहती हूँ।
एक आदमी ने उसे पढ़ा तो वह कागज़ पर लिखे हुए पते पर पहुँच गया और जेब से 50 रु निकाल कर बुढिया को दे दिए। वह बुढ़िया पैसे लेते हुए रो पड़ी और कहने लगी “तुम पन्द्रहवें आदमी हो जो मुझे 50 रुपये देने आये हो  तुम्हे कैसे पता चला की मेरे 50 रूपए खो गए हैं?“

आदमी ने खम्भे पर लगे कागज की बात बताई और मुस्कुराते हुए जाने लगा तो बुढ़िया ने उसे पीछे से आवाज़ देते हुए कहा
” बेटा जाते हुए वह कागज़ जहाँ लगा हुआ है उसे फाड़ते हुए जाना क्योंकि ना तो मैं पढ़ी लिखी हूँ और ना ही मैं ने वह कागज़ वहां चिपकाया है”
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कहानी-3

एक व्यक्ति खाना खाने के लिए एक होटल में गया। खाना खाने के बाद उसने बिल मंगवाया, लेकिन जैसे ही पैसे निकालने के लिए जेब में हाथ डाला, यह क्या……..
पर्स गायब…….
पर्स ना पाकर एक अनजाने डर से उसकी हालत ही खराब हो गई।
बहुत परेशान होकर उसने ऊपर से लेकर नीचे तक की जेबों को टटोलना शुरू  कर दिया लेकिन कई बार देखने के बाद भी पर्स नहीं मिला ……
और मिलता भी कैसे से ? वह तो ऑफिस में ही रह गया था।
वह सिर झुकाए बहुत देर तक आने वाली संभावित समस्याओं और उनके समाधान पर विचार करता रहा। कोई रास्ता ना पाकर वह काउंटर  की ओर चल दिया ताकि अपनी घड़ी गारंटी  के रूप रख कर जाए और पैसे लेकर आए।
बिल काउंटर पर रखते हुए कैशियर से अभी वह कुछ कहना ही चाहता था कि कैशियर खुद ही बोल पड़ा – सर आपके बिलों का भुगतान हो चुका है।
आश्चर्य के मारे उस व्यक्ति ने सवाल किया,  “लेकिन किसने किया है भाई ?
कैशियर ने कहा- अभी आप से पहले जो सज्जन गए हैं उन्होंने दिया है।
व्यक्ति बोला – तो मैं उसे उसके पैसे कैसे वापस लोटाउंगा, मैं तो उसे जानता तक नहीं?
केशियर ने कहा- किसी को ऐसी स्थिति में फंसा मजबूर देखो तो आगे बढ़ कर अदा कर देना, नेकी इसी तरह तो आगे चला करती है।
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ऊपर दी गयीं तीनों कहानियों से पता चलता है कि आज भी मदद करने वालों की कहीं कमी नहीं है।
पहली कहानी में आपने देखा कि एक आदमी ने सिर्फ तख्ती पे लिखी एक लाइन बदलकर ही उस अंधे व्यक्ति की बहुत बड़ी मदद कर दी।
दूसरी कहानी में आपने देखा कि किसी अनजान व्यक्ति ने उस बुढ़िया के दुःख दर्द को समझकर खम्भे पर मदद के लिए कागज चिपका दिया।
तीसरी कहानी में आपने देखा कि एक अनजान शख्स ने मजबूरी में फंसे एक व्यक्ति के बिल का भुगतान कर दिया।
दोस्तों, दुनिया में आज भी ऐसे बहुत से लोग हैं जिनके द्वारा ऊपर वाला कमजोरों, गरीबों, असहायों, मजबूर लोगों की मदद करता रहता है।
लेकिन क्या हम उन लोगों में से हैं ? जिन्हें ऊपर वाला कमजोरों, गरीबों, असहायों, मजबूर लोगों की मदद के लिए चुने?
ये हमें खुद सोचने वाली और गौर करने वाली बात है।
दोस्तों, वक़्त का कुछ नहीं पता कब किसके साथ क्या हो जाये? कब किसके साथ क्या घटना घट जाये किसी को कुछ नहीं पता। आज हम जिन ज़रुरतमंदों को देखकर मुँह मोड़ लेते हैं क्या पता कल हमारी भी स्थिति वैसी हो जाये? क्या पता कल हमें भी किसी मजबूरी का सामना करना पड़ जाये, क्या पता कल हमें भी किसी की मदद की ज़रूरत पड़ जाये।
इसलिए जहाँ तक हो सके, जितना भी हो सके, जितना भी आप कर सकते हो जरुरतमंदों की मदद कीजिये। किसी को कहीं पर मजबूर देखो, किसी को असहाय देखो तो उसकी मदद कर दीजिये। भूखों को खाना खिला दीजिये। कोई आपसे मदद मांग रहा है कभी मना मत कीजिये, आप जितना भी कर सकते हैं उसकी मदद कर दीजिये।
लोगों को लगता है कि आखिर हम बिना किसी उम्मीद और लालच के किसी के साथ भलाई क्यूँ करें? दोस्तों, वो मदद ही क्या जिसमें कुछ उम्मीद लगायी जाये , या जिसमें कुछ लालच हो। इसलिये बिना किसी उम्मीद के, बिना किसी लालच के मदद जरुर करें, हो सकता है कभी यह पलट कर आप के ही पास आये….. और अगर ना भी आये तो नेकी करने का सुकून तो मिलेगा ही।
किसी को खाना खिला के देखो ना यार…… किसी गरीब की मदद करके देखो ना यार ….दिल को अच्छा लगता है…. बड़ा सुकून मिलता है। ……….

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